Wednesday, April 23, 2025

कश्मीर में हिन्दू धर्म के नाम पर हत्या


 धर्म के नाम पर हत्या: मंज़ुनाथ राव की दर्दनाक कहानी

"अगर वो हिंदू न होता, तो शायद आज ज़िंदा होता।"

कश्मीर से सामने आई एक भयावह घटना ने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना सिर्फ एक इंसान की हत्या नहीं थी, बल्कि धर्म के आधार पर की गई एक क्रूर सज़ा थी — जिसमें सवाल नहीं, सिर्फ एक पहचान देखी गई: "क्या वो हिंदू है?

कोई राज्य नहीं पूछा, कोई भाषा नहीं, कोई जात नहीं।

आतंकियों ने मंज़ुनाथ राव से सिर्फ एक सवाल किया — "क्या तुम हिंदू हो?" और जैसे ही उत्तर मिला, बिना किसी और सोच-विचार के, उनकी छाती पर गोलियां दाग दी गईं।

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में आतंकवादियों ्वारा किए गए हमले में कम से कम 28 पर्यटकों की मौत हो गई और 20 से अधिक घायल हो गए |

घटना की बर्बरता यहीं नहीं थमी।

हमलावर वहां मौजूद अन्य पर्यटकों के पास भी पहुंचे। उनसे कहा गया — "अपनी पैंट उतारो।"

मकसद एक था: यह पता लगाना कि वे हिंदू हैं या मुसलमान। जैसे ही यह तय हो गया कि वे हिंदू हैं, फिर शुरू हुआ "गूली गूली" — अंधाधुंध गोलियों की बौछार।

मंज़ुनाथ राव कर्नाटक के रहने वाले थे।

वे अपनी पत्नी पल्लवी और बेटे के साथ कश्मीर घूमने आए थे। लेकिन यह यात्रा कभी न भूलने वाला दुःस्वप्न बन गई।

आतंकियों ने उनसे नाम पूछा, धर्म जाना — और फिर उनकी पत्नी और बेटे के सामने उन्हें गोलियों से भून दिया गया।

पल्लवी चीखती रही, रोती रही, चिल्लाती रही —

"तुमने मेरे पति को मार डाला है, मुझे भी मार दो!"

लेकिन नहीं — उसे ज़िंदा छोड़ दिया गया। और कहा गया:

"जाओ, मोदी को बता देना।"

यह घटना हमारे समाज को आईना दिखाती है।

जब कोई किसी की जान सिर्फ इसलिए ले ले कि वो किस धर्म का है — तो यह सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि पूरे मानवता पर धब्बा है।


क्या यह वही भारत है, जहां ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना पली-बढ़ी?

क्या अब पहचान के नाम पर मौतें तय होंगी?


इस घटना ने साफ कर दिया कि आतंकवाद का चेहरा सिर्फ हिंसा नहीं, बल्कि एक घिनौना भेदभाव भी है।

मंज़ुनाथ राव की हत्या हम सब से एक सवाल पूछती है — क्या हम चुप रहेंगे, या आवाज़ उठाएंगे?








BY : samachar4you.in

Sunday, April 20, 2025

महाराष्ट्र: भारत की पहली ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने की ओर एक मजबूत कदम

महाराष्ट्र: भारत की पहली ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने की ओर एक मजबूत कदम

महाराष्ट्र जल्द ही भारत का पहला राज्य बन सकता है जो वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का आंकड़ा पार करेगा। हाल ही में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में महाराष्ट्र ने अपनी आर्थिक शक्ति और संभावनाओं का शानदार प्रदर्शन किया।

इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मंच पर 130 देशों से आए 3000 से अधिक वैश्विक लीडर्स के बीच, महाराष्ट्र को सबसे अधिक इन्वेस्टमेंट डील्स मिली हैं। पहले ही दिन राज्य ने 6.25 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग डील्स हासिल कीं। डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में इस उपलब्धि ने दुनिया का ध्यान खींचा।

तीसरे दिन तक यह आंकड़ा 15.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया — जो किसी भी राज्य के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। यह केवल एक निवेश नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की नीति, इंफ्रास्ट्रक्चर और लीडरशिप पर वैश्विक विश्वास का प्रमाण है।

यह बात और भी उल्लेखनीय है कि इस मंच पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे वैश्विक सुपरपावर्स भी मौजूद थे। इसके बावजूद महाराष्ट्र को सबसे अधिक निवेश मिला, जो दर्शाता है कि राज्य वैश्विक निवेशकों का भरोसा जीतने में सफल रहा है।

इन बड़ी उपलब्धियों के चलते महाराष्ट्र आज न केवल भारत का नंबर वन राज्य बन चुका है, बल्कि यह भारत को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर अग्रणी बनाने की दिशा में भी अग्रसर है।






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Friday, April 18, 2025

अक्षय कुमार की दमदार वापसी और साल की सबसे शानदार फिल्म

अक्षय कुमार की दमदार वापसी और साल की सबसे शानदार फिल्म

अगर आपको भी लग रहा था कि केसरी 2 का केसरी 1 से कोई लेना-देना नहीं है और ये बस नाम का फायदा उठाकर पैसा कमाने की कोशिश है, तो थिएटर में जाकर आपके होश उड़ जाएंगे। केसरी 2 शायद इस साल की अब तक की सबसे दमदार और परफेक्ट फिल्म है, जिसमें कहानी, एक्टिंग, डायलॉग्स और क्लाइमैक्स सबकुछ उम्मीद से बढ़कर है।

यह फिल्म भारत की सबसे महंगी कोर्टरूम ड्रामा बताई जा रही है। इसे बनाया है करण सीन क्यागी ने, जो असल जिंदगी में एक वकील हैं और उनकी रियलिस्टिक राइटिंग से फिल्म की हर सीन असली लगती है।

अक्षय कुमार की शानदार वापसी

अक्षय कुमार इस फिल्म में अपने पुराने कॉन्टेंट-किंग अवतार में लौटे हैं। उनका एंट्री सीन ही तालियों के लायक है। उनके अभिनय की तुलना शेर से की जा रही है और अगर जनता ने इस वापसी को सपोर्ट नहीं किया तो यह जनता की हार होगी।

 केसरी 2 सिर्फ देशभक्ति या मोटिवेशनल फिल्म नहीं है, ये एक डार्क और डिस्टर्बिंग रियलिटी है, जो जलियांवाला बाग की सच्चाई के पीछे छिपे दर्द को सामने लाती है। फिल्म की शुरुआत ही 1650 लाशों के नीचे दबे एक बच्चे के हाथ से होती है, और यहीं से एक जबरदस्त कहानी की शुरुआत होती है।

कहानी में लॉयर सर सी शंकरन नायर हैं, जिन्होंने अंग्रेजों के लिए हमेशा केस जीते, लेकिन अब खुद उन्हीं के खिलाफ खड़े हैं। उनके सामने खड़ा है एक और वकील, जो कहता है कि शंकरन नायर का रिकॉर्ड सिर्फ इसलिए नहीं टूटा क्योंकि वो कभी उनके सामने कोर्ट में नहीं आया।

परफॉर्मेंस और डायरेक्शन

फिल्म में अक्षय कुमार और आर. माधवन की टक्कर देखने लायक है। दोनों की एक्टिंग और डायलॉग्स कमाल के हैं। अनन्या पांडे ने अच्छा काम किया है, लेकिन किसी और एक्ट्रेस को लिया जाता तो असर और ज्यादा होता।

करण सीन क्यागी का डायरेक्शन कमाल का है। उन्होंने दिखा दिया कि अगर इरादा साफ हो और कहानी दमदार हो तो पब्लिक थिएटर जरूर आती है।



रेटिंग और निष्कर्ष

केसरी 2 को मिलते हैं 5 में से 4.5 स्टार्स – दमदार स्टोरी, सॉलिड परफॉर्मेंस, शानदार डायलॉग्स और दिल दहला देने वाली एंडिंग के लिए। यह फिल्म सिर्फ देखने के लिए नहीं, महसूस करने के लिए बनी है।

टिप: इसे सरदार उधम से तुलना मत करना – दोनों अलग हैं और मास्टरपीस हैं।

अब फोन उठाओ और टिकट बुक करो – वरना इस फिल्म को मिस करने का पछतावा ज़िंदगी भर रहेगा।






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Thursday, April 17, 2025

बांग्लादेश में हिदुओं पर हमला -


 बांग्लादेश में हिदुओं पर हमला -

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहद चिंताजनक होती जा रही है। मंदिरों को जलाया जा रहा है, भगवान की मूर्तियाँ तोड़ी जा रही हैं, और हिंदू पुरुषों को खुलेआम निशाना बनाकर मारा जा रहा है। महिलाओं को उनके ही घरों और दुकानों में हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है। ये घटनाएँ बेतरतीब नहीं, बल्कि सुनियोजित हैं।

एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, 2013 से 2024 के बीच बांग्लादेश में हिंदू विरोधी 3,600 से अधिक घटनाएँ दर्ज की गईं — ये आंकड़े उस दौरान के प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन में सामने आए, जिन्हें अपेक्षाकृत उदार और धर्मनिरपेक्ष माना जाता है।

इन हमलों के पीछे एक आम संगठन है — जमात-ए-इस्लामी। यह संगठन 1941 में सैयद अबुल अला मौदूदी द्वारा स्थापित किया गया था और इसका उद्देश्य पूरे भारत में शरिया कानून लागू करना था। बंटवारे के बाद यह संगठन पाकिस्तान चला गया और बाद में बांग्लादेश में भी सक्रिय हो गया।


1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान जमात-ए-इस्लामी ने पाकिस्तानी सेना का साथ दिया और उसके 50,000 से अधिक सदस्यों ने रजाकर (पाकिस्तानी सेना के सहयोगी) के रूप में काम किया, जिनपर स्वतंत्रता सेनानियों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के आरोप हैं।

इस संगठन की छात्र शाखा, इस्लामी छात्र शब्बीर, बांग्लादेश में हालिया छात्र विरोधों और सरकार विरोधी आंदोलनों की भी प्रमुख सूत्रधार रही है।

चिंता की बात यह है कि यह संगठन अब भारत में भी सक्रिय है। UNHCR की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बोधगया मंदिर (2013), बर्दवान (2014) और कालचक्र मठ (2018) में हुए बम धमाकों में इसका हाथ रहा है।


यह एक गंभीर चेतावनी है कि बांग्लादेश की यह कट्टरपंथी मानसिकता अब भारत में भी अपने पैर पसार रही है। समय रहते इस पर ध्यान देना आवश्यक है।






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Tuesday, April 15, 2025

समुद्र की गहराई में छुपा है श्री कृष्ण की द्वारका का रहस्य -

                               

                  समुद्र की गहराई में छुपा है श्री कृष्ण की द्वारका का रहस्य -


द्वारका क्षेत्र में खोज के दौरान समुद्र की गहराई में एक पर्वत मिला था। यह कोई साधारण पर्वत नहीं था बल्कि समुद्र मंथन के दौरान इस्तेमाल किए गए शिखर का एक हिस्सा था। सन् 1963 में पुरातत्व विभाग को यह समुद्र से 80 फीट नीचे मिला था। कहा जाता है कि सन् 1983 में समुद्र की गहराई में जाकर भगवान कृष्ण के मंदिर के साथ एक पूरा शहर मिला था, जो भगवान कृष्ण की द्वारका नगरी थी |

सन् 1983 से सन् 1990 के बीच 5 साल तक अंडरवाटर आर्कियोलॉजिस्ट डॉ. एसआर राव और उनकी टीम इस मिशन को पूरा करने के लिए आई थी। कई दिनों तक पानी के अंदर खोज करने के बाद उन्हें एक अद्भुत अंडरवाटर शहर के अवशेष मिले। शहर द्वारका प्राचीन ग्रंथ इसे भगवान कृष्ण का स्वर्णिम साम्राज्य बताते हैं जहां 70000 महल सोने और रतन से जुड़े हुए थे | उसे शहर की मजबूत नीम की दीवारों के साथ-साथ कई पत्थर भी बनाने पड़े थी |

पानी के नीचे जमीन के स्तर से कई बार मिलने वाली पर्वतमालाएं भगवान कृष्ण की द्वारका नगरी थी, जो श्री कृष्ण के प्राण त्यागते ही समुद्र में डूब गई थी।





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ऑपरेशन सिंदूर: भारत की संस्कृति, संवेदनशीलता और सशक्त जवाब का प्रतीक

  ऑपरेशन सिंदूर: भारत की संस्कृति, संवेदनशीलता और सशक्त जवाब का प्रतीक "ऑपरेशन सिंदूर"—इस नाम में सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई की गूंज ...